दीवाली
असुरों से ये त्रस्त जगत की करुण व्यथा दीवाली है । अंधेरों से संघर्षों की एक अद्भुत प्रथा दीवाली है । चहुं ओर निराशा के घेरे थे वहां रक्त पिपासु के डेरे थे बुझे पड़े सब हवन कुंड तब फैल गए दुष्टों के झुंड जब लांघ गई पीड़ा सीमाएं तब आमजनों का वानर सेना बनने की कथा दीवाली है । नेत्रों में अश्रु के थे झरने फिर भी सबकी पीड़ा हरने जंगल बीहड़ दुनियां नापी आदर्शों से नहीं डिगे कदापि सिया राम के उस बिछोह की उस नैतिकता के मूल्यों की एक प्रेम कथा दीवाली है । अंधेरों से संघर्षों की एक अद्भुत प्रथा दीवाली है ।