क्यों कश्मीर जला डाला "kyon kashmir jala daalaa
क्यों कश्मीर जला डाला गैरों की बातों में आकर ये तुमने क्या कर डाला अपने हाथों से तूने हाय अपना कश्मीर जला डाला भारत माँ की जय बोलेगा मेरे पैरों का हर छाला मेरे झंडे का अपमान करेगा उसका होगा मुंह काला जिस थाली में खाया उसमें तुमने छेद किया अपनों और परायों में क्यों तुमने नहीं भेद किया पेलेट गन से चोटिल पत्थरबाजों में इनकी जानें बस्ती है सरहद पर तैनात जवानों की जाने क्या सस्ती है कफ़न सिरहाने रखते हैं ये उन वीरों की बस्ती है हँसते हँसते जान लुटाते यही हमारी मस्ती है । देखो कैसे सुलग रही है घाटी की केसर क्यारियां बंदूकों के धुंएँ से काली पड़ती ये फुलवारियां । नेहरू तुमने क्यों पाला ज़हरीले नागों के अण्डों को बन कर आस्तीन के सांप ये लहराते पाक के झंडों को आज बजाओ खुलकर अमरनाथ का तुम घण्टा चलों गिराओ बम परमाणु खत्म करो रोज़ का टंटा बर्फ ढकी घाटी दुल्हन ज्यों अंगड़ाई है लेती उसी ज़मी पर देखो होती आज तमंचों की खेती वो क्या देंगे तुमको जिनकी खुद्की हालात खस्ता है वो क्या जानें दर्द को तेरे