शब्द और मायने
बांध कर रखे थे गिरह में मैंने दोनों को शब्द और उनके मायने शब्द तो है यहीं मगर जाने कहाँ उनके मांयने खो गए हैं गिर गए शायद कहीं फिसलकर बहुत महीन थे उनके आकार अब इन बचे हुए बिन मायने के शब्दों का करूँ तो क्या करूँ बिन मायने के शब्द ऐसे जैसे तेल निकले हुए तिल शरीर जैसे बिन दिल बिन रोशनी की आंखें चिड़िया बिन पाँखें शब्दों के बेजान शवों में भरने होंगें मायनों की आत्मा Naayaab --