Betiyan बेटियां
बेटियों से ही ईद है बेटियों से ही दीवाली है जिनके घर बेटियां नही वो घर खाली खाली है । तुझसे ही है इस उपवन की शोभा बिटिया ये पिता तो बस इस बगीचे का माली है । ये बेटियां ही तो जीवन का मधुर संगीत है यही मंदिर का भजन यही काबे की कव्वाली है । जब हंसती है खिलखिलाकर तो परी सी लगती है सच कहूं तो मेरी बेटियों की बात ही निराली है । तुम क्या जानो विदाई का दर्द ये तो उनसे पूछो "नायाब" जिसने नाज़ नखरों से बेटियां पाली है । वो उड़ गई चिड़िया बन कर किसी और देश में मगर संदूक में अब भी उसके बचपन की कानों की बाली है । "मनोज नायाब"