हवाओं की अदालत
हवाओं की अदालत में आज चिरागों पे मुकदमा है । फैसला सुनने की खातिर उजालों की भीड़ जमा है । परवानों के कत्ल का इल्जाम और कटघरे में शमा है । ए चरागों घर जलाना ठीक नहीं बाक़ी तो तेरे सौ अपराध क्षमा है । अदालत मुंसिफ गवाह क्या कहूँ तेरा तो यहां पूरा महकमा है । अब क्या जुगनू गवाही देंगें हारते दियों को रोशनाई देंगे जिनसे थी रोशनी की उम्मीद उन चरागों से घर जला है