पढ़
वेदना से पढ़ संवेदना से पढ़ मुस्कुराकर पढ़ खिलखिलाकर पढ़ नज़र से पढ़ नज़रिए से पढ़ प्यास में पढ़ भूख में पढ़ आकुलता में पढ़ व्याकुलता में पढ़ भय में पढ़ निर्भय हो कर पढ़ रोष में पढ़ आक्रोश में पढ़ जय में पढ़ पराजय में पढ़ तुलसी को पढ़ मीरा को पढ़ रसखान या कबीरा को पढ़ अकेलेपन में पढ़ भीड़ में पढ़ बाहर तूफ़ां हो तो नीड़ में पढ़ विरह में पढ़ मिलन में पढ़ युद्ध में पढ़ शांति में पढ़ जब भी हृदह हो अधीर तब कोई कविता पढ़ मनोज नायाब -: