चलो लोकतंत्र बचाएं
नायाब --
झोले भर पत्थर
कनस्तर भर पेट्रोल
बोतल में केरोसिन
नफरत की चासनी में लिपटे
कुछ आज़ादी के नारे
किसी धर्म विशेष को
खास विशेषण से लिखी
नारों की तख्तियां
कुछ किराए के शांति दूत
कुछ बरगलाए मासूम बच्चे
कुछ बहके नौजवान
साथ ही दूसरों की धुन पर
बजाने को डफली
कुछ ज़हर बुझी कलम
लाल स्याही वाले कलमकार
यह सब समान तैयार है ।
अब देर किस बात की
चलो लोकतंत्र को बचाने निकले ।
मनोज " नायाब "
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