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Showing posts from January, 2019
तुम कहो तो भरी दोपहरी में पूनम का चांद दिखला दूं । बून्द भर ज़िंदगी में समंदर भर इश्क करना सिखला दूं । आ कभी आ मेरी आगोश में तुझे अपनी सांसो से पिघला दूं ।
न मिले मंज़िल तो पत्थर के मील बदलकर देखो हो वक्त बुरा तो कैलेंडर नहीं कील बदलकर देखो । कुछ बूंदों में तासीर ही नहीं होती प्यास बुझाने की ऐसे में सिर्फ पानी नहीं पूरी झील बदलकर देखो । ज़िंदगी के रुपहले पर्दे पर खरा उतरना चाहते हो तो सिर्फ किरदार नहीं पूरी रील बदलकर देखो । जो बनना हो मुहब्बत का असली सौदागर तुमको तो फिर इश्क़ में शर्तें नहीं पूरी डील बदलकर देखो । तमाम कोशिशों के बाद भी न आये दिल में उजलापन तो नायाब कपड़े नहीं एक बार नील बदलकर देखो ।