क्योंकि वो माँ होती है
Naayaab -- एक सरल किन्तु ह्रदयस्पर्शी कविता -: from my blog www.manojnaayaab3.wordpress.com क्यूंकि वो माँ होती है… तुम घर ना लौटो रात को जब तक वो नहीं पल भर भी चैन से सोती है क्यूंकि वो माँ होती है । तू खा ले मेरे पेट में जगह नहीं है पर वो असल में भूखी होती है क्यूंकि वो माँ होती है । दौलत के नशे में तूने कितनी बार झिड़का है पर वो उपर से हंसती और अंदर से रोती है क्यूंकि वो माँ होती है । जब हर तरफ फैला हो अन्धकार तो नायाब वही उम्मीद की ज्योति है क्यूंकि वो माँ होती है । मनोज ” नायाब “ सूचनार्थ-: मेरे ब्लॉग की सभी रचनाएँ मेरी स्वरचित है ।