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Showing posts from July, 2021

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Youtube channal of author Naayaab --

सांसे बोझ नहीं होती

कोई गहना नहीं कि उतार कर रख दूँ  सांसे कभी दिल की बोझ नहीं होती दिल कुछ कहना चाहता है सुन लो क्योंकि ऐसी बातें रोज़ रोज़ नहीं होती  खुदा से पूछकर उतर आओ ज़मीं पर न हो वजूद में उसकी खोज नहीं होती माना समंदर की पहचान हो तुम लहरें नायाब हवाएं न होती तो मौज नहीं होती नायाब

क्यों पालकी उठाएं

क्यों उठाएं पालकी क्यों करें यशस्वी गान तुम जहां बैठे हो हम ही बिठाएं बनकर मोरछल फिर हम ही क्यों चवर ढुलाऐं....... क्यों खाएं झूठन क्यों बिछाए कतरन क्यों पहने उतरन जीवित है अभी  हमारी संवेदनाएं सिंहासन तले फिर क्यों हम अपनी खाल बिछाएं......... . क्यों करे किसी की व्यर्थ चाकरी धमनियां नहीं  इतनी सांकरी हम क्यों अपने लहू का लोटा  भर भर लुटाएं तुम्हारी पिपासा है तो है  अपने लहू से हम क्यों बुझाए......... हमारे हिस्से की धूप पर क्यों पड़ेंगे डाके रोशनी तुम पियो और अंधेरा हम फाकें धूप की फसल आप काटोगे और सूर्य हम उगाएं हमारे खेत हमारा ही पसीना फिर लगान हम क्यों चुकाएं ........ मनोज नायाब

शराब में क्या रखा है

ज़रा डूब कर देख किताबों में  शराब में क्या रखा है । रूह से रिश्ता होना चाहिए  शबाब में क्या रखा है जाग कर ही हासिल होगा कुछ ख्वाब में क्या रखा है । अंधेरा मिटाने को ज़हनियत चाहिए आफताब में क्या रखा है । जैसी हो तुम्ही ठीक हो, शक्ल बदलते महताब में क्या रखा है । सवालों का अपना ही मज़ा है  जवाब में क्या रखा है । ये रोशनी कहाँ से आई चांद नुमा, देखें नकाब में क्या रखा है । तवज़्ज़ो उसके जज़्बात को दिया कर  नायाब में क्या रखा है ।