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Showing posts from March, 2024

लौटा दे

जहां बचपन बीता है मेरा  वो ठाव मुझे लौटा दो । जहां बाल सखा रहते थे मेरे वो गाँव मुझे लौटा दो  । बारिश के पानी में चलती थी जो चाहे सब कुछ ले लो मेरा तुम पर वो कागज़ की मेरी नाव मुझे लौटा दो । जून दोपहरी बिन चप्पल के  बेफिक्र घुमा करते थे । नीम की छांव तले बैठकर  खूब बातें किया करते थे बिना whatsapp के ही  दोस्त इकट्ठा हो जाते थे डाल डाल पर चढ़कर बेर निम्बोली खाते थे फिर से जीना चाहता हूं वो बचपन मेरी धूप मुझे लौटा दे मेरी छाव मुझे लौटा दे  नाप लिया करते थे  धूप में सारी बस्ती पतंग लूटने दौड़ लगाते कैसी अजब थी मस्ती बिन ब्रांडेड जूतों के भी  दिन भर क्रिकेट खेलते थे  एक हवाई चप्पल से राह के सब कंकर झेलते थे वो कभी न थकने वाले  वो कभी न रुकने वाले  वो सामर्थ्य मुझे लौटा दो वो पाँव मुझे लौटा दो  ।

ख्वाब न होता

इश्क़ न किया होता तो तूं यूँ बर्बाद न होता आंख न लगती तो तेरा ख्वाब न होता  हुक्मरानों की बात पे न जाते अगर तुम किसी शहर में कभी कोई फसाद नहीं होता वक्त रहते अगर मरहम रख देते ज़ख्म पर मेरे तो नासूर में ये इतना मवाद न होता  दवाइयां अगर इतनी महंगी न होती तो दुनियां में ताबीजों का कभी ईजाद नहीं होता तकरीरें करते हो इलेक्शन के वक्त तुम इतनी हम पूछते जब सवाल तो कोई जवाब नहीं होता

कागज़ तो दिखाना होगा पार्ट 2

इसी में तेरा भला है की कर लो तुम घुसपैठ का कबूलनामा निकल लो जल्दी तुम यहाँ से पकड़ कर अपना पैजामा वो लेकर आ गया जो बुलडोज़र तेरी अवैध बस्तियों में तो कसम खुदा की गुले गुलज़ार  तुम्हारा पैखाना होगा । क्योंकि तुझे कागज़ तो दिखाना होगा । अब तुमको कौन फ़र्ज़ी राशनकार्ड  बनवा कर देगा । तुम कैसे डकार पाओगे हमारे लोगों का  मनरेगा । इसके लिए तुम्हे बंगाल या केरल जाना होगा अब इस खयाल को दिमाग से भुलाना होगा क्योंकि कागज़ तो दिखाना होगा ये सल्तनत है ऐसे शख्स के हाथों में  जो बिकता ही नहीं । जो जालीदार टोपियों में कभी भी  दिखता ही नहीं । वो शिव भक्त पिछवाड़ी पर ऐसा डमरू बजाएगा की तुझको सच में जालिम लोशन  लगाना होगा  क्योंकि तुझे कागज़ तो दिखाना होगा । तू कब तक बचेगा कब तक टालेगा मोटा भाई तेरी पूरी कुंडली खंगालेगा तू रुका रहा यहां कितने दिन अब तक हर एक दिन का हिसाब चुकाना होगा  क्योंकि कागज़ तो दिखाना होगा