महंगा बहुत पड़ता है जी
दुश्मन जब भी मिले राह में
अनदेखा कर देना जी
बात बात में बदला लेना
महंगा बहुत पड़ता है जी
इश्क से कर ली मैंने तौबा
हाल जो देखा आशिक का
महबूबा को तोहफे देना
महंगा बहुत पड़ता है जी
जब भी घर जाओ तुम
हां हां बस कहना जी
बीवी को ना कहना
महंगा बहुत पड़ता है जी
अपने बाप की भी नहीं सुनते
तेरी तो क्या बिसात है जी
नायाब से पंगा मत लेना
क्योंकि महंगा बहुत पड़ता है जी
Comments
Post a Comment
Pls read and share your views on
manojnaayaab@gmail.com