चांद के आंखों की कोर से
कुछ काजल
तर्जनी से कुरेद कर
तुम्हे बुरी नज़र से
बचाने के लिए लाया हूँ
आजकल उपवन में
फूल अक्सर तुम्हारा ज़िक्र
किया करते हैं
जलते हैं ।
वो उस कोने पे
गुलाब के दोनों
पौधे तुम्हारे
जाने के बाद कानाफूसी
किया करते हैं ।
मैंने फूलों को ये
चुनौती दे डाली
की देखते है उनके आने के बाद
ये भंवरे किधर जाते हैं ।
हां हिन्दू हूँ
मैं हिन्दू हूँ रील देखते देखते बोर हो जाता हूँ तो बीच बीच में सोफे पर बैठा बैठा चाय की चुस्कियों के साथ पड़ोसी मुल्क के जलते मंदिरों इज़्ज़त लुटती स्त्रियों की खबर देखता रहता हूँ और अफसोस ज़ाहिर कर देता हूँ फिर देखता हूँ बिगबॉस का नया एपिसोड, अब छोड़ो भी यार चिल करो ब्रो नायाब तुम भी न बेकार ही इन सब बातों पर सर खपाते हो कुछ मीना ओ सागर शराब और शबाब पर यार सुनाओ कोई शेर खालिस उर्दू में सरकार देख लेगी ये सब हमें क्या करना है ये सब तो चलता रहता है यही है हश्र गहरी नींद में सोई हुई सेक्युलर कौम का पहचान तो गए होंगें मैं कौन हूँ जी हां सही पकड़े आत्ममुग्धता का हिमालय हूँ अतिआत्मविश्वाश का सिंधु हूँ मैं मूर्खता का चरम बिंदु हूँ लुटता पिटता हिन्दू हूँ । हां हिन्दू हूँ मैं हिन्दू हूँ । मनोज नायाब -:✍️
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