खारापन


तू तो अथाह होकर भी  प्यास बुझाता नहीं 

मंदिर का चरणामृत भी कभी बन पाता नहीं

बादलों ने हर बार मीठा पानी दिया था तुम्हें

ए समंदर तुम्हारा खारापन है कि जाता नहीं

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