मुस्कुराया मत कर



बिना चिलमन के इस तरह आया मत कर ।

अब आ ही गई हो तो वक्त ज़ाया मत कर ।


नशा उतरता नहीं है कई कई दिनों तक

ज़ालिम मेरे सामने यूँ मुस्कुराया मत कर ।


मैं अक्सर देर से दफ्तर जाने लगा हूँ 

तू सुबह सुबह सीने से लगाया मत कर ।


सुनता हूँ तो कलेजे में हुक सी उठती है

यार तू नायाब  की ग़ज़लें गाया मत कर ।


कच्ची उम्र का नौजवान हूँ समझा करो यार

ए हवा उनका दुपट्टा यूँ सरकाया मत कर ।


दिल की राहों में बिछी हुई है बारूदी सुरंगें

यार तुम हुश्न की तीलियाँ जलाया मत कर


हमने तो कर डाला है अब इज़हार ए इश्क़ 

तू मुझे परखने पर सर खपाया मत कर


कमबख्त पानी से तेरे चेहरे पे खरोचें न आ जाए

यार तुम ये रोज़ के रोज़ नहाया मत कर ।


मनोज नायाब ✍️

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