आखिरी बार

इन बैलों के पीठ पर 
आखिरी बार हाथ फिरा रहा हूँ 
पुरखों की इस माटी पर
ये आखिरी फसल होगी
आखिरी बार इस जमीन 
पर बैठकर प्याज़ के साथ 
रोटी खा रहा हूँ मैं
कुदाल ये फावड़ा ये हल
क्या करूँगा इनका कल
इस माटी पर मेरे पसीने 
की आखिरी बून्द है ये क्योंकि
अगले वर्ष बिटिया की शादी है
और खेत बेचना पड़ेगा ।

मनोज नायाब:-

Comments

  1. अगले वर्ष बिटिया की शादी है
    और खेत बेचना पड़ेगा ।
    शानदार

    ReplyDelete
  2. मार्मिक श्रृजन।

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  3. आपका धन्यवाद
    Rupa singh ji
    Yashoda agrawal ji

    ReplyDelete

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