हर कोई दोस्त नहीं होता



मैं चला तब काफिला था 
हुजूम हुआ करते थे दोस्तों के
साथ नहीं छोड़ेंगे एक दूसरे का
ये कसमें भी खाया करते थे हम

कुछ को रास्ते में मिल गए कई
ललचाने वाले खूबसूरत मंज़र 
तो वो हाथ छुड़ा कर वहीं रुक गए,

कुछ ने तो अलग रास्ता ले लिया 
इसलिए कि आगे निकल सके,

कुछ ने तो बदल लिए अपने हम सफर 
और वो किसी और के साथ हो लिए

कुछ दूर चलकर जब 
पीछे मुड़कर देखा तो
चंद लोग रह गए थे 

अब समझ आया कि
दोस्तों के काफिले नहीं हुआ करते 
सच्चे दोस्त बस थोड़े से होते हैं

ज़िंदगी के सफर में मिलने वाला 
हर कोई दोस्त नहों होता 
वो तो बस हमराही होते हैं
वो कभी भी अपनी राहें 
बदल सकते है 

दोस्ती बिलोने की तरह होती है
पतीला भरा हुआ होता है 
मगर जब मथो तो 
हथेली भर रह जाता है

सच भी तो है पेड़ पौधों की पहचान 
पत्तों की भीड़ से नहीं
बल्कि फूलों से होती है ।

मनोज नायाब-: 

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