राम आए हैं

जैसे गोकुल में 
सदियों से शाम आए हैं
राम आए हैं 

जैसे राधा रानी के मानो
घनश्याम आए हैं 
राम आए हैं 

तूने सबरी के भी तो 
झूठे बेर खाएं हैं , 
राम आए हैं
राम आए हैं आए हैं राम आए हैं

आज भारत की भूमि 
देखो धन्य हो गई 
मैं तो राम जी के आने की 
खुशी में खो गई
सूखी अवध पूरी में 
जैसे मेघ छाए हैं, राम आए हैं

ऐसा भारी था वियोग 
पूरे नगरी में शोग
पिता दशरथ राम को पुकारते रहे
वो तो महलों के द्वार को निहारते रहे
न तो रामजी आए थे ना ही आया संदेशा
गहरी नींद में सो गए वो तो फिर हमेशा 
मात कौशल्या ने भी विरह के गीत गाए हैं, राम आए हैं 

हाथ हमने थे जोड़े 
पांव हमने पड़े
वो विधर्मी तो 
अपनी ही ज़िद पे अड़े
राम भक्तों पे उसने जो
गोली चलवा दी थी
हम राम के दीवाने 
लाशें अपनी बिछा दी थी
कार सेवकों के लहू अब 
काम आए हैं , राम आए हैं

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