दिल के सीप ने

नायाब --

 इरादों के सिकंदर मगर दिल के भले हैं
 चाँद के आधे टुकड़े को खोजने चले हैं

तूने मल लिया है अपने चेहरे पर उसको
देखो ये हाथ अब भी चांदनी से सने है

दिल के समंदर में इतनी बैचैनी क्यों है
प्यार के सीप ने अरमानों के मोती जने है

कई दिनों बाद मां ने घर पर चूल्हा जलाया है
वर्ना कितने दिन तो फाकाकशी में निकले है

ये सुबह सुबह इतना अंधेरा क्यों है आज
थक गया सूरज के या फिर बादल घने है ।


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