बस तुमको चलते जाना है
बस तुमको चलते जाना है
बस तुमको चलते जाना है
राहों में तेरे कांटे होंगें
मरघट से सन्नाटे होंगे
पुष्प मिलेंगे कभी राह में तो
कभी पांव के नीचे कांटे होंगें
ऐसी ऐसी कठिन राह पर
यदि मंज़िल को पाना है तो
बस तुमको चलते जाना है
सूरज सा तुमको जलना होगा
हिमखंडों सा पिघलना होगा
छोड़ ठिकाने पर्बत के
तुझे नदियों जैसे चलना होगा ।
सागर में यदि समाना है
और लहरों को गले लगाना है
बस तुमको चलते जाना है ।
दुश्मन होंगें लाख चमन के
हमले होंगें तेज़ पवन के
कमी तेल की बड़ी खलेगी
ओट हथेली नहीं मिलेगी
तूफानों से टकराना है
तो दीपक सा जलते जाना है
बस तुमको चलते जाना है
सूरज के भरोसे नहीं रहेंगे
तम को हरगिज़ अब नहीं सहेंगे
जग को बड़ी है तुमसे आशा
अंधेरों ने फ़ैलाई निराशा
लौ को ये समझाना है
हरगिज़ नहीं घबराना है
बस तुमको चलते जाना है
सपने भी तेरे टूटेंगे
साथी के साथ भी छूटेंगे
कभी छुरा पीठ में घोपेंगे
कभी अपने तुझको लूटेंगे
जीवन की इस कठिन डगर में
अगरचे मंज़िल पाना है तो
बस तुमको चलते जाना है ।
कभी तो होगी जय जयकार
कभी मिलेगी तुझको हार
कभी मान का मर्दन होगा
कभी यश का चक्र सुदर्शन होगा
तैल पात्र में प्रतिबिम्ब मछ्ली का
नेत्र लक्ष्य संधाना है
बस तुमको चलते जाना है ।
Comments
Post a Comment
Pls read and share your views on
manojnaayaab@gmail.com