नपुंसक छांटे जाएंगे

मज़हबी उन्मादियों को गुलाब बांटें जाएंगें
तुम्हारे हिस्से में सिर्फ कांटें ही कांटे आएंगें 

जिनके दम पर तुम ये खूनी खेल करते हो न
अब सियासत में बैठे वो नपुंसक छांटे जाएंगें ।

जब तक करोगे भाईचारे की लिजलिजी बातें 
सोई हुई कौम के गले यूं ही काटे जाएंगें ।

अब खुद ही बचाना होगा अपने धर्म का किला
नायाब कब तक दूसरों के खड़ाऊ चाटे जाएंगे ।



 

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