सुरों की देवी लता

नायाब --

कहाँ ढूंढें तुम्हें सुरों की देवी बता
नहीं देकर गई अपना कोई पता

साज़ सहमे हुए नग्में खामोश है
मौशिकी की है इसमें कैसी खता

कूक कोयल की क्यों चुरा ले गई
मौत पहले तूँ अपना इरादा जता

अनाथ ग़ज़लें हुई गीत गूंगे हुए
बसी हो भजनों में तुम दीदी लता

गीत पे ग़ज़लों पे बोल भजनों पे
सब पे एहसान है सुरों की देवी लता

मनोज नायाब
कवि-लेखक
9859913535









Comments

  1. उनकी आवाज ही उनका स्थाई पत्ता है।
    बहुत सुंदर समर्पित रचना।

    समय साक्षी रहना तुम by रेणु बाला

    ReplyDelete
  2. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 9 फरवरी 2022 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
    !

    अथ स्वागतम् शुभ स्वागतम्

    ReplyDelete

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