मैं हिन्दू हूँ रील देखते देखते बोर हो जाता हूँ तो बीच बीच में सोफे पर बैठा बैठा चाय की चुस्कियों के साथ पड़ोसी मुल्क के जलते मंदिरों इज़्ज़त लुटती स्त्रियों की खबर देखता रहता हूँ और अफसोस ज़ाहिर कर देता हूँ फिर देखता हूँ बिगबॉस का नया एपिसोड, अब छोड़ो भी यार चिल करो ब्रो नायाब तुम भी न बेकार ही इन सब बातों पर सर खपाते हो कुछ मीना ओ सागर शराब और शबाब पर यार सुनाओ कोई शेर खालिस उर्दू में सरकार देख लेगी ये सब हमें क्या करना है ये सब तो चलता रहता है यही है हश्र गहरी नींद में सोई हुई सेक्युलर कौम का पहचान तो गए होंगें मैं कौन हूँ जी हां सही पकड़े आत्ममुग्धता का हिमालय हूँ अतिआत्मविश्वाश का सिंधु हूँ मैं मूर्खता का चरम बिंदु हूँ लुटता पिटता हिन्दू हूँ । हां हिन्दू हूँ मैं हिन्दू हूँ । मनोज नायाब -:✍️
थोड़ा तिरछा है थोड़ा आड़ा प्यार तुम्हारा 13 का पहाड़ा ना भूलूँ ना पूरा ये याद रहे कोई पूछे न ये फरियाद रहे ज़िक्र आए जब जब भी तेरा जमें जुबां ज्यों पौष का जाड़ा थोड़ा तिरछा है थोड़ा आड़ा प्यार तुम्हारा 13 का पहाड़ा जीवन के अंक गणित का सबसे मुश्किल पाठ हो तुम न खोल सका कभी मैं पूरा इतनी मुश्किल गांठ हो तुम कभी एक दिन होकर मायूस दिल की कॉपी का पन्ना फाड़ा थोड़ा तिरछा है थोड़ा आड़ा प्यार तुम्हारा 13 का पहाड़ा
" यहाँ थूकना मना है " मेरे मोहल्ले की एक दीवार पे लिखा था, " यहाँ थूकना मना है " मन तो कर रहा था उस दीवार पे ये लिख दूँ की जाओ थूकने का हौसला रखते हो तो उन खादी वालों पे थूको जिन्होनें देश की इज्ज़त को तार तार कर दिया अपने कुकर्मों से देश को शर्म सार कर दिया । जाओ थूकने का शौक है तो उन पे थूको जिन्होनें ईमान की सफेदी को भ्रष्टाचार से मैला कर दिया । जहाँ होती थी मिठास शहद सी, नेताओ की जात ने उसे कसेला कर सिया । थूकना है तो उन पे थूको जिन्होंने कश्मीर में खून की नदियाँ बहाई जिन्होंने सोमनाथ की दीवारें ढहाई जिनको कैद के बाद भी दे दी रिहाई उन्हीं लोगो ने खोदी विश्वास की खाई इस दीवार पे थूकने से क्या होगा मेरे भाई पीठ में छुरा घोंपने वाले उन बन्दों पे थूको थाली में छेद करने वाले जयचंदों पे थूको जिन्हें दिखती नहीं हिन्द की धमक दुनियां में थूकना है तो ऐसे आँख वाले अंधों पे थूको । इस दिवार पे थूकने से क्या होगा " मनोज नायाब "
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