सोन चिरैया
ये माएं भी बड़ी अजीब होती है न
जब काम नहीं करती थी तो कहती थी
इतनी बड़ी हो गई कुछ काम किया कर
अब जा रही हूं तो कहती है बहुत छोटी है
अभी उम्र ही क्या है ।
वो सच उस वक्त भी कह रही थी
सच इस वक्त भी कह रही है
तब संस्कार के लिए अब ममता
बह रही है ।
1 सोन चिरैया तुझ बिन बगिया
कितनी सुनी हो जाएगी ।
तुझ बिन घर की ये दीवारें
हम सबको काट ज्यों खाएगी
पापा जब आएंगे सांझ को
तब तेरी कमी सताएगी
तुझ बिन फीकी होली होगी
सुनी सी दीवाली होगी
तीज त्योंहार में हम सब होंगे
पापा की लाड़ो न होंगी ।
कौन सजाएगा रंगोली अब
कौन दिए जलाएगी
सोन चिरैया ....
2. दादा जी की लाडली पोती
बड़ी मम्मी छुप छुप के रोती
मेरे आंगन की गुड़िया हमसे
सदा दूर हो जाएगी
एक तेरे जाने से लाड़ो घर की
रौनक ही खो जाएगी
सोन चिरैया.....
3. सुना हो गया तेरा कमरा
जहां रात भर पढ़ती थी
क्या बोलेंगे उस शीशे को
जहां तू सजती संवरती थी
गुमसुम सा हो गया है भाई
जिससे रोज झगड़ती थी
पवन बाबा अब किसको चिढाएं
कभी इतरती कभी डरती थी
मम्मी किसको लाड़ लड़ाए
किसके सर पे हाथ फिराएगी
सोन चिरैया तुझ बिन....
सोन चिरैया.....
ये सच है घर की देहरी पर अब
दिए नहीं जलाऊंगी
छोड़ बाबुल तेरा घर मैं
दूर देश चली जाऊंगी
किंतु बाबुल कैसे मैं
तेरे घर की दहलीज पार कर पाऊंगी ।
आसमा के चांद सितारों से
मैया तेरे दिए संस्कारों से
पिया का घर सजाऊंगी ।
पर मत उदास हो मम्मी पापा
जल्दी मिलने आऊंगी
घर आकर के अब भी मैं
खूब उधम मचाऊंगी
मॉर्निंग वॉक नहीं करने पर अब कैसे
किसको डांट पिलाएगी
मम्मी टॉवेल देना
Bathrum से अब भी आवाज़ लगाएगी
तब तब मैया तू बड़ी याद आएगी
पापा के घर आते ही
दिनभर की शिकायतें अब कैसे लगाएगी ।
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