Ub lahor ko jalna hoga ,#pulwamaattack#
"अब लाहौर को जलना होगा "
बजवाकर ताली गणतंत्र दिवस पर
फिर हो जाते हो खामोश ।
क्यों हर साल दिखाते हमें परेड में
अग्नि सुखोई और ब्रह्मोस ।
नरम घास के छोड़ बिछौने
अब अंगारों पे चलना होगा ।
इधर जल रही यदि चिताएं तो
उधर लाहौर भी जलना होगा ।
दिखलाओ अपना रौद्र रूप तुम
कर दो सेना को आदेश ।
भले छोड़ के आ जाना उधर धड़ों को
पर नर मुंडों को लाना तुम देश ।
बिलख रही है माँ शहीदों की
उनके चरणों में कर देना पेश ।
लहू नहीं आएगा दुश्मन का जब तक
खुले रहेंगें विधवाओं के केश ।
बड़ी उम्मीदों से बांधा था दामोदर
तेरे सर पे हमने सेहरा ।
बिन pok तुम जो आये तो मोदी
फिर मत दिखलाना चेहरा ।
और किसी दिन बनवा देना तुम
पक्की सड़कें और लंबे पुल
पहले निपटा दो इन सुअरों को
दिल में चुभी है गहरी सूल ।
है 'नायाब' सिपाही तूं कलम का
अब न बैठो यूँ चुपचाप ।
कांप उठे सीना दुश्मन का
कर शब्दों की ऐसी पदचाप ।
मनोज 'नायाब"
बजवाकर ताली गणतंत्र दिवस पर
फिर हो जाते हो खामोश ।
क्यों हर साल दिखाते हमें परेड में
अग्नि सुखोई और ब्रह्मोस ।
नरम घास के छोड़ बिछौने
अब अंगारों पे चलना होगा ।
इधर जल रही यदि चिताएं तो
उधर लाहौर भी जलना होगा ।
दिखलाओ अपना रौद्र रूप तुम
कर दो सेना को आदेश ।
भले छोड़ के आ जाना उधर धड़ों को
पर नर मुंडों को लाना तुम देश ।
बिलख रही है माँ शहीदों की
उनके चरणों में कर देना पेश ।
लहू नहीं आएगा दुश्मन का जब तक
खुले रहेंगें विधवाओं के केश ।
बड़ी उम्मीदों से बांधा था दामोदर
तेरे सर पे हमने सेहरा ।
बिन pok तुम जो आये तो मोदी
फिर मत दिखलाना चेहरा ।
और किसी दिन बनवा देना तुम
पक्की सड़कें और लंबे पुल
पहले निपटा दो इन सुअरों को
दिल में चुभी है गहरी सूल ।
है 'नायाब' सिपाही तूं कलम का
अब न बैठो यूँ चुपचाप ।
कांप उठे सीना दुश्मन का
कर शब्दों की ऐसी पदचाप ।
मनोज 'नायाब"
Comments
Post a Comment
Pls read and share your views on
manojnaayaab@gmail.com