Kya bura kiya

धुंए को आग लिख दिया क्या बुरा किया
पत्ते को बाग लिख दिया क्या बुरा किया ।

माना लिखना था नेताजी मगर हमने जो
नेताजी को नाग लिख दिया क्या बुरा किया ।

पैंतरे उनके देख कर लिखना था चालाक
हमने घाघ लिख दिया तो क्या बुरा किया ।

सुबूत ए वफ़ा मांगने वालों को कलंक लिखना था
जो हमने दाग लिख दिया तो क्या बुरा किया ।

ये मुल्क किसी खानदान की जागीर तो नहीं
नायाब ने बेलाग लिख दिया तो क्या बुरा किया ।

मनोज " नायाब "








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