जाधव
"जाधव" #jadhav#
बहू जल्द तैयार हो जा
आज चलना है,
जाधव से मिलवाने का
वादा किया है सरहद पार वालों ने,
अलमारी से वो सोने वाला मंगलसूत्र निकाल लेना
जो जाधव ने तुझे तेरे वर्षगांठ पे तुझे दिया था,
वो चप्पल जो लाया था वो बड़े चाव से,
देख मैंने ये साडी पहनी है कैसी रहेगी
उसे बहुत पसंद थी रोज़ कहता था माँ
इस साडी में तू बहुत प्यारी लगती हो
मिलने दे उसे जाकर पहले उसके कान खिंचुंगी
वादा करके गया था
माँ दिवाली से पहले लौट आऊंगा
इस बार तेरे कमरे के परदे भी बदलवाऊंगा
और धनतेरस वाले दिन तेरे लिए
नयी गाडी खरीदूंगा,
एक न. का झूठा
माँ माँ करता रहेगा कुछ देर बात नहीं करुँगी
फिर झूठे गुस्से को उतारकर
गले से लगा लुंगी
सीने से लगाकर खूब उलाहने दूंगी
क्यूँ रे बदमाश अपने सारे वादे भूल गया
और पूछूंगी क्यूँ रे शैतान घर कब आएगा
चल मेरे साथ अभी चल कोई बहाना नहीं सुनूंगी
मुझे बात करा तेरे अफसर से उनके भी तो बच्चे होंगे
पूछूंगी भला इत्ते दिन तक
क्यूँ नहीं जाने दिया मेरे लाल को
अरे ये क्या यहाँ ये कांच की दिवार क्यूँ है
मुझे छूना है तुझे सीने से लगाना है तुझे
इन लोगों से कहो न ये दिवार हटाएँ
ये लोग इतने पत्थर दिल क्यों है
देख बहु ने रो रो कर अपना क्या हाल किया है
रोज़ कहती है मांजी एक बार मिल लूँ
ए पाक तूने माँ और बेटे में कांच की
दीवार डाली है ।
तोड़ कर वादा, अपने अस्तित्व में
दरार डाली है ।
देख माँ की आह अब काम कर रही है
तुम्हारी भीख पर भी लगाम लग रही है ।
मनोज "नायाब"
9859913535
गुवाहाटी ।
बहू जल्द तैयार हो जा
आज चलना है,
जाधव से मिलवाने का
वादा किया है सरहद पार वालों ने,
अलमारी से वो सोने वाला मंगलसूत्र निकाल लेना
जो जाधव ने तुझे तेरे वर्षगांठ पे तुझे दिया था,
वो चप्पल जो लाया था वो बड़े चाव से,
देख मैंने ये साडी पहनी है कैसी रहेगी
उसे बहुत पसंद थी रोज़ कहता था माँ
इस साडी में तू बहुत प्यारी लगती हो
मिलने दे उसे जाकर पहले उसके कान खिंचुंगी
वादा करके गया था
माँ दिवाली से पहले लौट आऊंगा
इस बार तेरे कमरे के परदे भी बदलवाऊंगा
और धनतेरस वाले दिन तेरे लिए
नयी गाडी खरीदूंगा,
एक न. का झूठा
माँ माँ करता रहेगा कुछ देर बात नहीं करुँगी
फिर झूठे गुस्से को उतारकर
गले से लगा लुंगी
सीने से लगाकर खूब उलाहने दूंगी
क्यूँ रे बदमाश अपने सारे वादे भूल गया
और पूछूंगी क्यूँ रे शैतान घर कब आएगा
चल मेरे साथ अभी चल कोई बहाना नहीं सुनूंगी
मुझे बात करा तेरे अफसर से उनके भी तो बच्चे होंगे
पूछूंगी भला इत्ते दिन तक
क्यूँ नहीं जाने दिया मेरे लाल को
अरे ये क्या यहाँ ये कांच की दिवार क्यूँ है
मुझे छूना है तुझे सीने से लगाना है तुझे
इन लोगों से कहो न ये दिवार हटाएँ
ये लोग इतने पत्थर दिल क्यों है
देख बहु ने रो रो कर अपना क्या हाल किया है
रोज़ कहती है मांजी एक बार मिल लूँ
ए पाक तूने माँ और बेटे में कांच की
दीवार डाली है ।
तोड़ कर वादा, अपने अस्तित्व में
दरार डाली है ।
देख माँ की आह अब काम कर रही है
तुम्हारी भीख पर भी लगाम लग रही है ।
मनोज "नायाब"
9859913535
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