Ghazal प्यार होता मगर...

ग़ज़ल
प्यार होता शर्त मगर हाथों में हाथ की थी ।
आग जलती कमी बस इक बरसात की थी ।

ए सूरज तुम अब आए तो क्या आए
तुम्हारी जरुरत तो मुझे कल रात की थी ।

माना जल गया आशियाना पर रौशनी तो हुई
तसल्ली मुझे बस इसी एक बात की थी ।

तुम मांग बैठे ताउम्र का साथ मुझसे
बात तो बस नायाब एक मुलाकात की थी ।

" मनोज नायाब "

#pyar#ghazal#dil#barsaat#aag

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