ग़ज़ल dil jub se diya hai
दिल जब से दिया है तब से दीया सा है
ज़ालिम ने हर पल जलाया है ।।
ज़ालिम ने हर पल जलाया है ।।
तमाम उम्र जिसे हंसाने की कोशिश की
आज उसीने देखो रुलाया है ।।
चवन्नी भर छोड़ के गया था ज़ख्म
आज देखा तो सवाया है ।।
ठीक है मुस्कुरा रहा है पर वैसा नही है
जो नायाब के चेहरे पे नुमाया है ।।
" मनोज नायाब "
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