तुझे कागज़ तो दिखाना होगा
तुझे कागज़ तो दिखाना होगा । जो यहीं के हो तो यहीं रहो गर लांघ कर सरहद आए हो तो बिस्तर बांध के जाना होगा तुझे कागज़ तो दिखाना होगा । जो हम वतन हो तो दिल में बिठाएंगे साथ बैठकर गुनगुनी धूप में सेवईयां खाएंगे रात के अंधेरों में छुपकर आने वाला बता वापिस कब रवाना होगा तुझे कागज़ तो दिखाना होगा । चंद कीड़ों को निकालने के लिए बीनने पड़ते हैं चावल सभी हमारे भात में कंकर बनने वालों सरहद पार तेरा ठीकाना होगा । तुझे कागज़ तो दिखाना होगा । जो देश के रंग में रंग न सका तो रंगरेज़ कैसा धरा को मां कहने में इतना परहेज कैसा अब तो वंदे मातरम भी गाना होगा तुझे कागज़ तो दिखाना होगा । जाने कितने भीतर तक अम्न को तुमने कुतरा है । भाईचारे की दरियादिली का नशा अब जाकर हमें भी उतरा है । देश को टुकड़ों में बांटने वालों को अब तो सबक सिखलाना होगा तुझे कागज़ तो दिखाना होगा । जब गुलिस्तां को उजाड़ रहे थे सफेद लिबास वाले भेड़िये नायाब तब हम मौन नहीं थे । अपने बच्चों को हमें ये बताना होगा तुझे कागज़ तो दिखाना होगा ।