पर चूक गए


बरसात भी थी 
सैलाब भी था
पर जाने क्यों दरिया 
सुख गए ।

प्यास भी थी 
और बूंदें भी 
बस पीनी थी
पर चूक गए

गम भी था 
और चोटें भी 
कांधे पर तेरे
रखकर सर
रोना था बेजार मुझे
पर चूक गए

अब तो खर्च हो गई सांसे 
ज़िंदगी मिली थी जो मुझको
वो जीनी थी 
पर चूक गए ।

प्यास भी थी 
और बूंदें भी 
बस पीनी थी
पर चूक गए

दिल की बातें 
इक दूजे को
कुछ कहते हम
कुछ कहते तुम
होठों तक आई थी जो बातें
वो कहनी थी
पर चूक गए ।

प्यास भी थी 
और बूंदें भी 
बस पीनी थी
पर चूक गए

एक अचानक झोंका आया
थोड़ा घूंघट भी था सरकाया
होने को ही था
दीदार तुम्हारा
पर चूक गए ।

मीना था और
साक़ी भी थे
पीनी थी आंखों की मदिरा
पर चूक गए

प्यास भी थी 
और बूंदें भी 
बस पीनी थी
पर चूक गए

जीवन मांग के फिर लाएंगे
सांसे तुमको लौटाएंगे
जी लेना जितना जीना है 
अबकी फिर मत कहना के 
लो फिर से हम तो
चूक गए

प्यास भी थी 
और बूंदें भी 
बस पीनी थी
पर चूक गए

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