राजस्थानी गीत
( 1)
मनडे रे तपते धोरां माइ ज्यां बरसे है पाणी रे ।
घनों हिये ने हुलसावे है म्हारे मारवाड़ री वाणी रे ।
आ बोली इतरी है मीठी ज्यां घोली है शक्कर अरे ज्यां घोली है शक्कर
चीर काळजो दिल में उतरे इन री नहीं है टक्कर अरे इन री नहीं है टक्कर
बोल बोल कर घनी में देखी आ भाषा री महारानी रे ।
....... मनडे रे तपते धोरा माई बरसे ठंडो पाणी रे
(2)
सुनता ही बचपन आ ज्यावै म्हारे आंख्या सामा अरे म्हारे आंख्या सामा
मावड़ी घरा पाडती काजल गावंती हाथे पगे दामा अरे हाथे पगे दामा
कपड़ा धोवन की बट्टी से घर का सब न्या लेता घर का सब न्या लेता
चूर छाछ राबड़ी में मैं ठंडी रोटी खा लेता ठंडी रोटी खा लेता
याद घणे री आवे म्हाने म्हारा खेत म्हारी ढाणी रे
.... मनडे रे तपते धोरां माई ज्यां बरसे ठंडो पाणी रे
(3)
पिवरिये री ओलयूं आवे कद आवेला बीरो कद आवेलो बीरो
तने जिमाऊ घी चूरमो रांधयों गुड़ को सीरो रांधयों गुड़ को सीरो
याद सहेल्यां री आवे जद आंख्या में आवे पाणी रे
घणो हिये ने हुलसावे है म्हारे मारवाड़ री वाणी रे
मनडे रे तपता धोरां माई ज्यां बरसे है पाणी रे
(4)
हिंदी और अंग्रेजी सयुं भी, नहीं कोई परहेज रे नहीं है कोई परहेज
पण सौतन की खातिर मैं तो, किया बिछाऊँ सेज रे किया बिछाऊँ सेज
ई बोली रो मान घटे जद आवे आंख्या में पाणी रे
घणो हिये ने हुलसावे म्हारे मारवाड़ री वाणी रे
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