Posts

Showing posts from March, 2025

कैसे भूल जाऊं

विवाह के बाद लड़की का यानी मेरा सिर्फ मायका नहीं छुटा छूट गया वो मेरा कमरा  जिसको खूब सजाया करती थी वो मेरी अलमारी  जिसमें मैं बचपन के खिलोने रखती थी और मेरी पूरी दुनियां उस अलमारी में होती थी । वो पड़ोसी भी छूट गए  जिनसे कई बार झगड़े होते थे मगर मेरी विदाई में  फूट फूट कर  वो भी मेरी मम्मी पापा जितना रोये थे  घर के बाहर वो किराने की दुकान जहां से चॉकलेट ले लेती और कह देती पैसे पापा देंगें  वो मंदिर भी छूट गया  जिस में जाकर न जाने कितनी मन्नतें मांगा  करती थी । वो पीपल जो रोज़ सींचा करती थी वो तुलसी जहां रोज़ दिया जलती थी सब छूट गए वो गली के बाहर खेलते बच्चे वो सखियां वो सहेलियां  जिनके साथ हर साल  गणगौर पूजती थी अब सभी पीछे छूट गए  मेरा पुराना टूथ ब्रश मेरा टॉवेल  वो बिना ब्रांड के नेलपॉलिश  वो चूड़ियां जिनको  कभी पहना नहीं  मगर न जाने क्यों  कभी फेंका भी नहीं  सब तो मायके में छोड़ आई और सुनो कैसे कह देते हो तुम  मायके की बात ससुराल में  न किया करो मैं करती नहीं बस सहसा ही  जुबान पर आ जाती...