मर्ज़ी का सच

ऐसा भी नहीं हर जगह सच की शहादत हो रही है ।

ऐसा भी नहीं  कि झूठ की कोई इबादत हो रही है ।

सुनो सच आज भी बोले जा रहे हैं गाहे बगाहे मगर 

हमें बस मर्ज़ी का सच सुनने की आदत हो रही है ।।

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