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Showing posts from December, 2024

मोहब्बत

एक मेहनत कश को अपनी  थकान से मुहब्बत हो जाती है जिससे चलती है रोज़ी उनको अपनी दुकान से मुहब्बत हो जाती है। जाने क्यों तुमको हाड़ मांस के इंसान से नहीं होती हमें तो वर्षों रहते रहते ईंट पत्थर के  मकान से  मोहब्बत हो जाती है ।

बिना चिलमन के

बिना चिलमन के इस तरह आया मत कर । अब आ ही गई हो तो वक्त ज़ाया मत कर । नशा उतरता नहीं है कई कई दिनों तक ज़ालिम मेरे सामने यूँ मुस्कुराया मत कर । मैं अक्सर देर से दफ्तर जाने लगा हूँ  तू सुबह सुबह सीने से लगाया मत कर । सुनता हूँ तो कलेजे में हुक सी उठती है यार तू नायाब  की ग़ज़लें गाया मत कर । कच्ची उम्र का नौजवान हूँ समझा करो यार ए हवा उनका दुपट्टा यूँ सरकाया मत कर । दिल की राहों में बिछा है इश्क़ का बारूद यार तुम हुश्न की तीलियाँ जलाया मत कर हमने तो कर डाला है अब इज़हार ए इश्क़  तू मुझे परखने पर सर खपाया मत कर कमबख्त पानी से तेरे चेहरे पे खरोचें न आ जाए यार तुम ये शॉवर से रोज़ के रोज़ नहाया मत कर ।

ओळखन परिचय

था सगलां ने राम राम सब भायां ने खम्मा घणी सा  पिता सोहन लाल र मां सरला देवी म्हने जणि सा चांडक जात लिखूं सु म्हे मनोज कुमार है नाम म्हारो घर परिवार चलावन खातिर है कपड़ा को काम म्हारो  चंद्रान्स वंश सयुं हूँ कुलदेवी आशापुरा है धाम म्हारो राजस्थान धोरा री धरती नगर बिकानो मुकाम म्हारो कामाख्या नगरी ज्यों काशी गौहाटी का म्हे हां वासी मूला नक्षत्र में जन्म हुए म्हारो सिंह बतावे म्हारी राशि

सांस

करोड़ों है मगर एक सांस भी न खरीद पाएंगें । रुतबे ओहदे नाम  सारे धरे के धरे रह जाएंगे । न जाने कितनों का दिल जलाया है होगा तुमने  सोच एक दिन तेरे अपने ही तुझको जलाएंगे । टूट जाएगा भरम रिश्तों का जब उनके वकील  मौत  के बाद भी तुम्हारा अंगूठा लेने आएंगें । कभी भूखे को जो नहीं खिलाया कुछ तो फिर रोटी एक वक्त और चार दवा तीन वक्त खाएंगें ।

मौत के बाद

करोड़ों है मगर एक सांस भी न खरीद पाएंगें । रुतबे ओहदे नाम  सारे धरे के धरे रह जाएंगे । न जाने कितनों का दिल जलाया है होगा तुमने  सोच एक दिन तेरे अपने ही तुझको जलाएंगे । टूट जाएगा भरम रिश्तों का जब उनके वकील  मौत  के बाद भी तुम्हारा अंगूठा लेने आएंगें । कभी भूखे को जो नहीं खिलाया कुछ तो फिर रोटी एक वक्त और दवा तीन वक्त खाएंगें ।

भगवा

काशी मथुरा करो हवाले वर्ना बलवा कर देंगे बाबा के भजनों पर नाचेगा बाबर भी ऐसा जलवा कर देंगे  केसरिया रंग उड़ेगा ऐसे की हम फगवा फगवा कर देंगे

ज़माने में

सच बोलने से होता  है बड़ा नुकसान ज़माने में झूठ बोलकर जीना है बड़ा आसान ज़माने में ज़रा सी  तकलीफों  से टूटना ठीक नहीं है तुमसे ज्यादा भी तो है परेशान ज़माने में अपनी ऊंचाइयों  पर इतना गुरुर मत कर एक तुम ही नहीं हो आसमान ज़माने में ये बात अलग है लोग भूल जाते हो मां बाप को  मगर चुका न पाया कोई उनके एहसान ज़माने में