मोहब्बत


एक मेहनत कश को अपनी 

थकान से मुहब्बत हो जाती है


जिससे चलती है रोज़ी उनको अपनी

दुकान से मुहब्बत हो जाती है।


जाने क्यों तुमको हाड़ मांस के

इंसान से नहीं होती

हमें तो वर्षों रहते रहते ईंट पत्थर के 

मकान से  मोहब्बत हो जाती है ।

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