गरीब कवि

किसी गरीब कवि के मुख से 
गरीबी पर नहीं सुनता कविता कोई 
गरीबी पर कविता सुनने के लिए 
बुलाया जाता है 
किसी अमीर कवि को
जो हवाई जहाज से उतरता हो
उसकी अगवानी लाव लश्कर से हो
पांच सितारा होटल से निकलकर 
सीधे मंच पर आए और फिर
सुनाए गरीबी पर कविता ।
फिर 2000 की टिकट खरीदकर 
आए लोग बजाते हैं तालियां 
बाहर निकलकर गाड़ियों के 
काले शीशे चढ़ाकर 
फुर्ररर से निकल जाते हैं 
कहीं सिग्नल पर कोई 
गरीब तंग न करें ।

मनोज नायाब ,✍️

Comments

Popular posts from this blog

यहाँ थूकना मना है yahan thukna mana hai

हां हिन्दू हूँ

13 का पहाड़ा