देर से दफ्तर जाने लगा हूँ
बिना चिलमन के इस तरह मत आया कर ।
आ ही गई हो तो वक्त यूँ मत ज़ाया कर ।
नशा उतरता नहीं है कई कई दिनों तक
ज़ालिम मेरे सामने यूँ मत मुस्कुराया कर ।
मैं अक्सर देर से दफ्तर जाने लगा हूँ
तू सुबह सुबह सीने से मत लगाया कर ।
सुनता हूँ तो कलेजे में हुक सी उठती है
यार तू नायाब की ग़ज़लें मत गाया कर ।
कच्ची उम्र का नौजवान हूँ समझा करो यार
ए हवा उनका दुपट्टा मत सरकाया कर ।
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