निर्लज्ज अयोध्या
एहसान फरामोशी के चरम बिंदु हैं
हां हम अयोध्या के निर्लज हिन्दू है
तेरे खातिर हुई सैकड़ों
रामभक्तों की शहादत है
मगर नहीं जानते थे वो
तुम्हें गुलामी की आदत है
जिसने गोली तुम पर चलवाई
जिसने गर्दन काटी है
वाह रे मूर्ख अयोध्या तूने तो
उसी की खड़ाऊ चाटी है ।
सच कहता हूं अबकी बार
कौन बचाने आएगा
जब फिर से कोई बाबर तेरा
मंदिर ढहायेगा ।
तुम जयचंदों को हमने पहचाना
अब जाकर हम चेते हैं ।
सौ सौ लानत भेजें तुमको हम
लाखों धिक्कार तुझे हम देते हैं ।
फिर इस सदी में नहीं कोई
दूसरा मोदी आएगा ।
कौन लड़ेगा तेरे खातिर बोलो
कौन सम्मान दिलाएगा ।
एहसान फरामोशी के चरम बिंदु हैं ।
हां हम अयोध्या के निर्लज हिन्दू है ।
मनोज नायाब
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