Saturday, November 18, 2023

हर कोई दोस्त नहीं होता



मैं चला तब काफिला था 
हुजूम हुआ करते थे दोस्तों के
साथ नहीं छोड़ेंगे एक दूसरे का
ये कसमें भी खाया करते थे हम

कुछ को रास्ते में मिल गए कई
ललचाने वाले खूबसूरत मंज़र 
तो वो हाथ छुड़ा कर वहीं रुक गए,

कुछ ने तो अलग रास्ता ले लिया 
इसलिए कि आगे निकल सके,

कुछ ने तो बदल लिए अपने हम सफर 
और वो किसी और के साथ हो लिए

कुछ दूर चलकर जब 
पीछे मुड़कर देखा तो
चंद लोग रह गए थे 

अब समझ आया कि
दोस्तों के काफिले नहीं हुआ करते 
सच्चे दोस्त बस थोड़े से होते हैं

ज़िंदगी के सफर में मिलने वाला 
हर कोई दोस्त नहों होता 
वो तो बस हमराही होते हैं
वो कभी भी अपनी राहें 
बदल सकते है 

दोस्ती बिलोने की तरह होती है
पतीला भरा हुआ होता है 
मगर जब मथो तो 
हथेली भर रह जाता है

सच भी तो है पेड़ पौधों की पहचान 
पत्तों की भीड़ से नहीं
बल्कि फूलों से होती है ।

मनोज नायाब-: 

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