कब आ रही हो बिटिया ससुराल से
तुम्हारा बचपन याद करता हूँ तो
भीग जाती है पलकें बिटिया
कैसे पहली बार जब तुम्हारे
कान छिदवाए तो हम मुस्कुरा रहे थे
तुम रोती हुई भी कितनी मासूम
लग रही थी ।
पहली बार तूने जब स्कूल यूनिफार्म पहनी थी
तो हमने काला टिका लगाया था
और मोबाइल से तस्वीरे उतारी
जब पहली बार तुम चलने लगी
तो हम तालियां बजा कर नाचने लगे
पहली बार स्कूल के annual function
में stage पर तुमको परफॉर्म करते देखा
जब पहली बार स्कूल की दौड़ में
मेडल लाई थी और बोली पापा
आंखें बंद करो surprize है तो
हमारा सीना गर्व से चौड़ा हो गया था बिटिया
और वो जायका अब भी मेरी जुबान पर है
जो तुमने पहली बार मेरे लिए
चाय बनाई थी और हँसते हुए
मैंने तुम्हारी मम्मी से कहा कि
अब तुम्हारी जरूरत नहीं
मेरी बिटिया बड़ी हो गई है
मार्क्स खराब आने पर
कैसे मम्मी को पटाती
की पापा को मत बताना
तुम ससुराल क्या गई
घर काटने को दौड़ता है
बिटिया ।
कुछ दिन के लिए आ सकती हो क्या
तुम कहो तो जवाई बाबू से
बात कर लेता हूँ ।
तेरी मां भी कल तुझे याद करते हुए
रो पड़ी ।
जाने कब आंखें बंद
हो जाए हमारी
आ जा न एक बार लाडो ।
मनोज नायाब--
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