विपक्ष:-
कोरोना रूपी पूतना के गर्भ में ऐसे कई राक्षसी सवाल पल रहे हैं जिनके निवारण के लिए कोई कृष्ण नहीं आने वाला है ।
क्षण भर की कृत्रिम खुशी को जीवन का सत्य मान लेना भारी भूल होगी । जिस दिन आप घरों से निकलेंगे उस दिन...
आप की नौकरी छिन चुकी होंगी या आपका व्यवसाय भारी उलटफेर का शिकार हो घाटे में जा चुका होगा । फिर लंबे समय तक आपको रोज़गार की जदोजहद से लड़ना होगा । लेनदारों की कतार लग चुकी होगी ।
अर्थव्यवस्था औंधे मुंह और सरकारी ख़ज़ाना खाली हो चुका होगा ऐसे में सरकारें अपने कोषीय घाटे को पूरा करने के लिए कुछ समय बाद पुनः टैक्स के रूप में आप ही से वसूली करेगी । कमर टूट चुके मध्यम वर्ग की रीढ़ सीधी हो पाएगी ?
सभी विकास की योजनाएं कोष की कमी से बंद हो जाने से महत्वपूर्ण कार्य अधर में लटक जाएंगें ।
जिन लोगों के पास बैंक में जमा पूंजी है वह घर बैठ कर पारिवारिक सामंजस्य और नित नए पकवान का आनंद ले रहे होंगे मगर रोज कमाने खाने वाले 10-10 रुपये का नून तेल आटा खरीद कर पेट पालने वाले कैसे जियेंगे । सरकारी सहायता ऊंट के मुंह में ज़ीरा ही है ।
निम्न वर्ग वाला मांग कर कुछ दिन खा भी लेगा उसे सरकारी मुफ्त योजनाएं मिल भी जाएगी मगर मध्यम वर्ग किसके सामने कटोरा लेकर जाएगा । सरकार कुछ देगी नहीं अपने भी हाथ खींच लेंगे । 10000 भी किसी रिश्तेदार से मांगोगे तो टरकाने के सौ बहाने सुनाएंगे ।
स्वास्थ्य सेवाएं पहले से कोरोना की लड़ाई में व्यस्त है ऐसे में गंभीर बीमारी से पीड़ित मज़दूर और निचले तबके के लोगों का क्या होगा उनको तो अस्पतालों से दुत्कार दिया जाना तय है ?
ऑंखें बन्द कर लेने से परिणाम रूपी कबूतर समस्या रूपी बिल्ली से बच नहीं सकता ।
मनोज नायाब
गुवाहाटी
9859913535
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