पहले मेरी चादर
इतनी लंबी हुआ करती थी
की मैं पूरे पैर फैला सकता था
परंतु किसी ने मेरी चादर
का कोना काट लिया
तब मैंने अपना बदन सिकुड़ लिया
मैंने प्रतिवाद भी नहीं किया
मेरा काम चल रहा था
फिर मेरी चादर को और काटा गया
तब भी मैं अहिंसा का पुजारी बन
प्रतिवाद नहीं किया
मगर अपने बदन को
थोड़ा और सिकोड़ लिया
मैं तब तक अपना बदन
सिकोड़ता रहूंगा
जब तक पूरी
चादर न छीन ले जाए कोई
जब मैं पूरा उघाड़ दिया जाऊंगा
मैं जब पूरा नंगा जाऊंगा
फिर उनके साथ हो लूंगा
और फिर दूसरे कौम की
चादर नोचूंगा
पहचान तो गए होंगें
जी हां सही पकड़े
मैं हिन्दू हूँ ।
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