Tuesday, March 5, 2019

Ub lahor ko jalna hoga ,#pulwamaattack#

   "अब लाहौर को जलना होगा "
बजवाकर ताली गणतंत्र दिवस पर
फिर हो जाते हो खामोश ।
क्यों हर साल दिखाते हमें परेड में
अग्नि सुखोई और ब्रह्मोस ।

नरम घास के छोड़ बिछौने
अब अंगारों पे चलना होगा ।
इधर जल रही यदि चिताएं तो
उधर लाहौर भी जलना होगा ।

दिखलाओ अपना रौद्र रूप तुम
कर दो सेना को आदेश ।
भले छोड़ के आ जाना उधर धड़ों को
पर नर मुंडों को लाना तुम देश ।

बिलख रही है माँ शहीदों की
उनके चरणों में कर देना पेश ।
लहू नहीं आएगा दुश्मन का जब तक
खुले रहेंगें विधवाओं के केश ।

बड़ी उम्मीदों से  बांधा था दामोदर
तेरे सर पे हमने सेहरा ।
बिन pok तुम जो आये तो मोदी
फिर मत दिखलाना चेहरा ।

और किसी दिन बनवा देना तुम
पक्की सड़कें और लंबे पुल
पहले निपटा दो इन सुअरों को
दिल में चुभी है गहरी सूल ।

है 'नायाब' सिपाही तूं कलम का
अब न बैठो यूँ चुपचाप ।
कांप उठे सीना दुश्मन का
कर शब्दों की ऐसी पदचाप ।


मनोज 'नायाब"










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