Tuesday, April 10, 2018

Kya ab bhi yaad hau

             " क्या अब भी याद आता है "

बचपन अब भी कहीं छुपा बैठा है
मुझ में तुझ में हर एक में कहीं न कहीं ।

सच बताना क्या अब भी याद आता है
स्कूल का बस्ता गद्दे पर फेंक कर
दोस्तों के साथ नंगे पांव ही गलियों में
क्रिकेट खेलना ।

सच बताना क्या अब भी याद आता है
दोस्तों के साथ सारी रात vcr पर फिल्में देखना ।

सच बताना क्या अब भी याद आता है
पिताजी की उंगली पकड़कर मौहल्ले की
पुरानी सी नाई की दुकान पर बाल कटिंग करवाना ।

सच बताना क्या अब भी याद आता है
सिनेमा हॉल के सामने खड़े होकर फिल्मों के
पोस्टर देखना और फिल्मों की कहानी सुनाना ।

सच बताना क्या अब भी याद आता है
मामाजी की दी हुई लाइट वाली घड़ी दोस्तों को
दिखाकर रौब झाड़ना ।

सच बताना क्या अब भी याद आता है
पड़ोस के कमलेश चाचा के बेटे के ससुराल से
आई हुई 5 पीस मिठाई का बहन भाईयों में बांटना और
झगड़ना ।

सच बताना क्या अब भी याद आता है
कुल्फी वाले ठेले की घंटी की आवाज़ सुनकर माँ से
2 रुपए की जिद्द करना ।

सच बताना क्या अब भी याद आता है
बड़े भाई की छोटी हो चुकी पैंट न पहनने की जिद्द करना

सच बताना क्या अब भी याद आता है
रविवार को बाल्टी में पानी भर भर का साईकल को धोना

सच बताना क्या अब भी याद है
अपने ही हाथ से गिरी हुई चॉकलेट को उठाकर कमीज से साफ करके फिर खा लेना ।

कुछ याद रहे न रहे बचपन जरूर याद रहता है ।
काश फिर लौट आए यही हमेशा दिल कहता है ।

मनोज "नायाब"
9859913535















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