ख़त

दिल में तेरी यादों का
घनघोर तूफ़ान भी उठा था
कल रात
कलम भी उठाई थी
तुझको ख़त लिखने की खातिर
कल रात
मगर इतने मशगूल हो गए
तुझमें और तेरी यादों मैं
कल रात
की अगले ही पल
सूरज को दस्तक देता पाया
कल रात
ख़त पर नज़र डाली तो
देखा तेरे नाम से ज्यादा
कुछ न लिख पाए
कल रात
सोचो इससे ज्यादा
खूबसूरत ख़त क्या होगा
एक साफ़ आसमान से कागज़ पे
चाँद सा तेरा एक नाम
और कुछ भी नहीं
हैं ना ...


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