किरदार तेरी सांसों का

हवा का कतरा कतरा
खड़ा है क़तार में
पाने को
एक खास किरदार
मगर किसी के हिस्से आया
धूल उड़ाना
किसी के हिस्से में
पेशानी का पसीना सुखाना
किसी को मिला
सन्नाटों में खौफ बढ़ाना
तो किसी को मिला किरदार
महज़ समंदर की सतह को
लहर बनाना
मगर वही खुश किस्मत
हवाएं तेरी सांसों का
किरदार पाती है
जो तेरे सीने की ज़द में आती है ।

" मनोज नायाब "

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