चांद को पानी में...
मानो चांद को पानी में उबाला जा रहा है
जैसे समंदर को लोटे में डाला जा रहा है
ये इश्क़ कितना मुश्किल काम है यारों
सुई की नोक से हाथी निकाला जा रहा है
ग़ज़ब है कि बच्चे तो अनाथ घूम रहे हैं
और यहां कुत्तों को पाला जा रहा है ।
ऐसे कैसे आएगी सुबह तुम ही कहो
अंधेरों को भर्ती कर उजालों को निकाला जा रहा है ।
वो फिर से नई कसमें खाने लगे हैं
और पुराने वादों को टाला जा रहा है ।
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 6 अगस्त 2025 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteवाह वाह वाह, बेहतरीन पंक्तियाँ 🙏
ReplyDeleteवाह!!क्या बात है ! बहुत खूबव
ReplyDeleteसही कहा ।
ReplyDelete