सोच में रखो लोच तो जिंदगी में लोचा कम होगा । लेखक एक राष्ट्रवादी कवि है ।राजनीति#धर्म#रिश्ते#प्रेम#राष्ट्रवाद# आदि narendramodi#india#upelection#india#blog#poetry#rammandir#kashi#mathura#hindu#hindutva#bollywood#farmer#result#electionresult
बून्द का धरा पर गिर कर छिटकना
बिखराव नहीं ये फैलाव है ।
सुखी घास का जलना सर्द रातों में
आग नहीं ये तो अलाव है ।
रिसता हुआ लहू देख ज़रा
ये कोई चोट नहीं बल्कि घाव है
मुसीबतों का ज़लज़ला भी पस्त हो गया
हमारे पास भी हौसलों की नाव है
Pls read and share your views onmanojnaayaab@gmail.com
No comments:
Post a Comment
Pls read and share your views on
manojnaayaab@gmail.com