Monday, September 23, 2024

हौसलों की नाव है

नायाब --

बून्द का धरा पर गिर कर छिटकना 

बिखराव नहीं ये फैलाव है ।


सुखी घास का जलना सर्द रातों में 

आग नहीं ये तो अलाव है ।


रिसता हुआ लहू देख ज़रा

ये कोई चोट नहीं बल्कि घाव है


मुसीबतों का ज़लज़ला भी पस्त हो गया 

हमारे पास भी हौसलों की नाव है 

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