" यहाँ थूकना मना है " मेरे मोहल्ले की एक दीवार पे लिखा था, " यहाँ थूकना मना है " मन तो कर रहा था उस दीवार पे ये लिख दूँ की जाओ थूकने का हौसला रखते हो तो उन खादी वालों पे थूको जिन्होनें देश की इज्ज़त को तार तार कर दिया अपने कुकर्मों से देश को शर्म सार कर दिया । जाओ थूकने का शौक है तो उन पे थूको जिन्होनें ईमान की सफेदी को भ्रष्टाचार से मैला कर दिया । जहाँ होती थी मिठास शहद सी, नेताओ की जात ने उसे कसेला कर सिया । थूकना है तो उन पे थूको जिन्होंने कश्मीर में खून की नदियाँ बहाई जिन्होंने सोमनाथ की दीवारें ढहाई जिनको कैद के बाद भी दे दी रिहाई उन्हीं लोगो ने खोदी विश्वास की खाई इस दीवार पे थूकने से क्या होगा मेरे भाई पीठ में छुरा घोंपने वाले उन बन्दों पे थूको थाली में छेद करने वाले जयचंदों पे थूको जिन्हें दिखती नहीं हिन्द की धमक दुनियां में थूकना है तो ऐसे आँख वाले अंधों पे थूको । इस दिवार पे थूकने से क्या होगा " मनोज नायाब "
कोरोना ने कितनी जिंदगियां छीन ली मेरे मोबाइल में जाने कितने नंबर अब ऐसे ही पड़े हैं जिनको डिलीट करू या रहने दु समझ नही पा रहा हूँ जिन नंबरों से रोज़ आया करते थे कभी सलाम कभी दुआ जाने अब क्या उन्हें हुआ न उधर से कोई जवाब आता है न इधर का कोई मज़मून जाता है वो कितनी दूर चले गए कि जहां पर रिश्ते नातों के टावर भी नहीं है । तुम्हारी हंसती मुस्कुराती dp तुम्हारे भेजे हुए वो पुराने message अब भी सहेज कर रखे हैं मित्र आ जाओ यार लौट कर अब दोस्तों की महफिलें सुनी कर गया तू तो धोखेबाज निकला रे तेरी बारी थी न वो चाय पार्टी भी नहीं दी तुमने डायल किया गया नंबर हमारी ज़िंदगी की पहुंच से बहुत दूर है काश इतना भर ही कह दे कोई की की i will call you later तो कयामत तक इंतजार कर लेते बस ये नंबर उन्ही खोए हुए दोस्तों के होने का एहसास है तुम चले गए दोस्त बस छोड़ गए ये मोबाइल नंबर अपना फेसबुक एकाउंट कुछ पुरानी जन्मदिन की केक काटती तस्वीरें कुछ कमैंट्स और अनगिनत लाइक्स बस यही है खजाना मेरे पास तुम्हारी यादों के रूप में । मनोज नायाब
या तो यहां से जाना होगा या तुझे कागज़ तो दिखाना होगा । जो यहीं के हो तो यहीं रहो गर लांघ कर सरहद आए हो तो बिस्तर बांध के जाना होगा तुझे कागज़ तो दिखाना होगा । हां तुझको दिखलाना होगा कागज़ तुझको दिखलाना होगा जो हम वतन हो तो दिल में बिठाएंगे साथ बैठ कर तुम्हारे सेवईयां भी खाएंगे रात के अंधेरों में छुपकर आने वाला बता वापिस कब रवाना होगा तुझे कागज़ तो दिखाना होगा दिखाना होगा दिखाना होगा दिखाना होगा तुझको कागज़ तो दिखाना होगा म चंद कीड़ों को निकालने के लिए बीनने पड़ते हैं चावल सभी हमारे भात में कंकर बनने वालों सरहद पार तेरा ठीकाना होगा । तुझे कागज़ तो दिखाना होगा । जो देश के रंग में रंग न सका तो रंगरेज़ कैसा धरा को मां कहने में इतना परहेज कैसा अब तो वंदे मातरम भी गाना होगा तुझे कागज़ तो दिखाना होगा । जाने कितने भीतर तक अम्न को तुमने कुतरा है । भाईचारे की दरियादिली का नशा अब जाकर हमें भी उतरा है । देश को टुकड़ों में बांटने वालों को अब तो सबक सिखलाना होगा तुझे कागज़ तो दिखाना होगा । जब गुलिस्तां को उजाड़ रहे थे सफेद लिबास वाले भेड़िये नायाब तब हम मौन नहीं थे । अपने बच्चों को हम...
Comments
Post a Comment
Pls read and share your views on
manojnaayaab@gmail.com